Ekadashi May 2024: मोहिनी एकादशी पिछले जन्‍मों के पाप, जानिए इस दिन नियम

ANAND
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वैशाख शुक्ल की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. भगवान खाटूश्याम और महाराष्ट्र के पंढरपुर के श्री विट्ठल के भक्तों के लिए मोहिनी एकादशी बहुत महत्वपूर्ण बताई गई है. दिन(Ekadashi May 2024) पंढरपुर के विट्ठल के दरबार को फूलों उसकी सजावट से सजाया जाता है. इस प्रकार बाबा श्याम मोहिनी एकादशी के इस शुभ दिन पर मनमोहन फूलों से सजाया जाता है. आगे पिछले जन्‍मों के पाप से किस प्रकार मोहिनी एकादशी नष्ट कर सकते हैं, एकादशी के क्या है नियम जानते हैं.


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Ekadashi May 2024: मोहिनी एकादशी के क्या है नियम-


वैशाख शुक्ल की एकादशी 19 में 2024 को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन पर एकादशी के नियमों को पालन करने से घर में सुख समृद्धि, वैभव और पिछले जन्‍मों के पाप को भी नष्‍ट कर देता यह व्रत, ऐसा कहा जाता (मान्यता) है. भगवान विष्णु को समर्पित यह एकादशी व्रत काफी महत्वपूर्ण है. पुरातन कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इस दिन मोहिनी अवतार धारण किया था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 19 मई 2024 इस दिन एकादशी का शुभ मुहूर्त है. शास्त्रों में एकादशी से सही नियमों के बारे में जानकारी दी है.


  • भगवान श्री हरि के अवतार की पूजा मोहिनी एकादशी के दिन पर करनी चाहिए.
  • सात्विक भोजन करना चाहिए.
  • गौ माता को हरा चारा खिलाएं, उनकी सेवा करें.
  • भगवान विष्णु पूजा में तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल करें. (यह पत्ते मोहिनी एकादशी के दिन पर ना तोड़े बल्कि इसके एक दिन पहले तोड़ कर रखें.)
  • इस दिन पर अहंकार, शराब, मांस, क्रोध ऐसे बुराई से दूर रहे.
  • घर में चावल और बैंगन इस दिन पर ना पकाई करें.
  • घर में सूक्ष्मजीव किसी कारण नाश न हो जाए इसकी पवित्रता बनाई रखें.
  • पूजा को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए सटक जानकारी दरबार की पुजारी से जानकारी प्राप्त करें.

पूरे वर्ष भर में ekadashi 2024 की तिथि में से यह एकादशी काफी महत्वपूर्ण है जिसे सभी भक्तों को mohini ekadashi दिन पर नियमित रूप से पालन करना चाहिए. इस दिन पर mohini ekadashi vrat katha को पवित्र मन से पढ़ना और सुनना चाहिए. यह कथा ज्यादातर विष्णु के मंदिर पर जरूर सुनने के लिए और पढ़ने के लिए मिलेगी. इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके चंदन का टीका लगाकर "ऊं नमो भगवते वासुदेवाय" इस मंत्र का उच्चारण 108 बार करने से शरीर को काफी प्रसन्नता प्राप्त होती है.


हिंदू धर्म में 24 एकादशी दी गई है जो सभी भगवान विष्णु को समर्पित है| हर एकादशी का एक अलग महत्व बताया गया है| मोहिनी एकादशी इन 24 एकादशी में से अलग कुछ इस प्रकार हैं कि इस दिन पर भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन से निकला हुआ अमृत मोहिनी अवतार के द्वारा राक्षसों से लेकर देवताओं में दे दिया और देवताएं अमर हो गए थे. कथाओं के अनुसार इसी दिन पर राहु और केतु का जन्म किस दिन पर हुआ था जिसकी वजह से मोहिनी एकादशी से भी इनका संबंध बताया जाता है.


कहानियों के अनुसार स्वरभानु (राहु और केतु) यहां एक ही धड़ हुआ करता था लेकिन समुद्र मंथन के समय इस धड़ को दो शरीर में भगवान विष्णु के क्रोध के कारण होना पड़ा. स्वरभानु समुद्र मंथन के अमृत को चुपके से देवताओं के बंटवारे में छुपकर पी लिया, यह जानकारी जब सूर्यपुर चंद्र को लगी तो उन्होंने इस पर संदेह किया. भगवान विष्णु ने इस राक्षस को सजा देने के लिए सर और धड़ अलग किया. अमृत पीने के कारण स्वरभानु (राहु केतु)अमर हो चुका था. भगवान ने इसके दो टुकड़े करने के कारण एक जो शरीर का सर था जिसे राहु कहलाया और धड़ को केतु के नाम से आगे जाकर जाना जाने लगा. स्वरभानु किस इस दुर्दशा का कारण सूर्य और चंद्रमा को मानने की वजह से आज राहु और केतु के चलते हैं सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिनकी कुंडली में राहु और केतु की स्थिति मजबूत दिखाई जाती हैं उनकी जिंदगी ज्यादातर कठिनाइयों और परेशानियों से बनी होती हैं. यह दोस्ती दिखाई देने पर अनिद्रा और तनाव का सामना व्यक्तियों को करना पड़ता है. इस दिनों में व्यक्ति को गलत फैसला करते हुए दिखाई पड़ते हैं और उनका गलत प्रभाव उनके जीवन पर दिखाई पड़ता है.


(Disclaimer: दी गई पूरी जानकारी सामान्य तौर पर प्राप्त की गई है जिसकी वजह से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं है. इस जानकारी को और सटीक तरीके से जाने और नीचे कमेंट बॉक्स द्वारा हमसे जुड़े.)


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